जब हम मुट्ठी खोलेंगे By Ghazal << मिरा दिन ख़ूबसूरत यूँ बना... दिल-ए-मुख़्लिस कहे बिन बा... >> जब हम मुट्ठी खोलेंगे नई कहानी खोलेंगे ज़ख़्म की इज़्ज़त करते हैं देर से पट्टी खोलेंगे चेहरा पढ़ने वाले चोर गठरी थोड़ी खोलेंगे दिल का वहम निकालेंगे गले की डोरी खोलेंगे वो ख़ुद थोड़ी आएगा नौकर कुंडी खोलेंगे ज़ोर से गाँठ लगाई थी दाँत से रस्सी खोलेंगे Share on: