जब हमारी ज़िंदगी के दर्द फ़िल्माए गए दोस्तों के हुक्म से सब सीन कटवाए गए छोटी छोटी चादरें बिकने लगीं बाज़ार में और फिर उन से ज़ियादा पाँव फैलाए गए टाइलों की संग-ए-मरमर की ज़मीनें दी गईं इस तरह काँटों पे चलने वाले फुसलाए गए दिल पुकारा हर इशारा तोड़ दो गाड़ी भगाओ और सड़क बोली बहुत से इस तरह आए गए मुँह में अंगारे को रखने वाला बच्चा बच गया मुँह में अंगारे को सह सह कर ख़ुदा ढाए गए ज़िंदगी रोने को वक़्त-ए-मुख़्तसर का नाम है और हम बच्चे हैं जो जन्नत से बहलाए गए