जैसे कहा ये कूज़े ने गिर्दाब को लपेट दिल झट से बोल उट्ठा कि संजाब को लपेट तू आब-ए-ज़ि़ंदगी की हक़ीक़त समझ के तीर इक आफ़्ताब थाम के तालाब को लपेट मुझ से लिपट गया था कोई मिस्ल-ए-हादसात दिल बोला अपने जिस्म पे आदाब को लपेट तू बात मान क़हत में कश्ती बना ऐ दोस्त फिर अपनी चप्पू-रानी से सैलाब को लपेट छुपता नहीं है रात की चादर से चाँद भी ऐ यार आस्तीन में महताब को लपेट 'पतरस' के दौर से ही तो लाहौरियों ने 'औन' लाहौर को कहा है कि पंजाब को लपेट आख़िर किसी का हुक्म तो है अश्क अश्क को बहने से पहले पहले किसी ख़्वाब को लपेट