जब हुए ख़्वाब में विसाल हुए तुम को देखे तो माह-ओ-साल हुए हम तुम्हें भूल कर भी याद करें किस क़दर साहब-ए-कमाल हुए हो गए अपनी ज़ात में यकता बे-मिसाली की इक मिसाल हुए अपनी ख़ामोशियों के हुजरे में शोर करता हुआ धमाल हुए लुत्फ़ लेने को उन की हैरत का हम भी आईना-ए-जमाल हुए लम्हा-ए-वस्ल तो गुज़र ही गया हाँ मगर रोज़-ओ-शब वबाल हुए उन को दीवान से निकाल दिया शे'र जो अपने हस्ब-ए-हाल हुए