जब कभी ख़्वाब की उम्मीद बँधा करती है नींद आँखों में परेशान फिरा करती है याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है देख बे-चारगी-ए-कू-ए-मोहब्बत कोई दम साए के वास्ते दीवार दुआ करती है सूरत-ए-दिल बड़े शहरों में रह-ए-यक-तर्फ़ा जाने वालों को बहुत याद किया करती है दो उजालों को मिलाती हुई इक राह-गुज़ार बे-चरागी के बड़े रंज सहा करती है