जब कोई हम से रूठ जाता है हाथ हाथों से छूट जाता है आँख उठती है आसमाँ की तरफ़ दिल मिरा जब भी टूट जाता है दिल हुआ है हमारा दिल्ली सा जिस को देखूँ वो लौट जाता है अपना दिल अपने पास ही रखिए हम से वो टूट फूट जाता है समझो वो हो गया ख़ुदा के क़रीब जिस की बातों से झूट जाता है कितना नाज़ुक है दिल मिरा 'काशिफ़' उस की बातों से टूट जाता है