जब से रब्त किसी से टूटा अक्सर ऐसी बात हुई याद के बादल लहराए फिर अश्कों की बरसात हुई क़त्ल-ए-वफ़ा में हाथ था उन का इस को किस ने जाना है नाम पे उन के हर्फ़ न आया रुस्वा मेरी ज़ात हुई रात की तन्हाई में जब भी यादों के कुछ फूल खिले उन के इस्तिक़बाल को हाज़िर तारों की बारात हुई काहकशाँ की फुलवारी में सज कर आया था कोई मेरे जीवन में ऐ लोगो ऐसी भी इक रात हुई प्यार के रूठे सपने फिर आसेब की सूरत लहराए दिल के ज़ख़्मों की ख़ुशबू से हासिल ये सौग़ात हुई इक दिन राह में रोक के मुझ को कहने लगे सुनते हो 'रईस' हर तख़्लीक़ तुम्हारी प्यारे अक्स-ए-महसूसात हुई