जब से वो दूर हो गया मुझ से खो गया मेरा ही पता मुझ से मेरा नुक़सान हर तरह से है माँगता है वो मशवरा मुझ से क्या मिरी अहमियत बढ़ी है इधर शहर में क्यूँ हैं सब ख़फ़ा मुझ से और कुछ रुख़ निकालने के लिए सुनना चाहेगा वाक़िआ' मुझ से मेरी दुनिया मिरा जहान है वो जिस की दुनिया है कुछ जुदा मुझ से हाए किस फूल की ये ख़ुश्बू है पूछती रह गई 'सबा' मुझ से