जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा दिल बे-ख़बर-ए-गर्दिश-ए-अय्याम रहेगा मिट जाएगा हर नक़्श-ए-ख़याल-ए-ग़म-ए-हस्ती लेकिन वरक़-ए-दिल पे तिरा नाम रहेगा क्यूँ डर है गुनाहों के सबब हश्र के दिन से हम जानते हैं उन का करम आम रहेगा पैग़ाम तो आएँगे बहुत दैर-ओ-हरम से लेकिन तिरी चौखट से मुझे काम रहेगा मय-ख़ाना सलामत है अगर तेरी नज़र का लबरेज़ म-ए-इश्क़ से हर जाम रहेगा दामन है अगर तेरा मिरे दस्त-ए-तलब में आग़ाज़ से बेहतर मिरा अंजाम रहेगा जाएगी न दिल से तिरे आरिज़ की मोहब्बत ज़ुल्फ़ों का तसव्वुर मुझे हर शाम रहेगा आँखें ही नहीं तेरी 'फ़ना' दीद के क़ाबिल तू जल्वा-गह-ए-यार में नाकाम रहेगा