जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है By Ghazal << मुस्तक़िल महव-ए-ग़म-ए-अहद... मैं वहशत-ओ-जुनूँ में तमाश... >> जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है ऐ दोस्त मेरा होश में आना मुहाल है बादा-कशों ने पाई है मेराज-ए-आशिक़ी साक़ी ये तेरी मस्त नज़र का कमाल है Share on: