जब तवक़्क़ो का सिलसिला टूटा ख़ुश-गुमानी का दायरा टूटा नींद टूटी तो ख़्वाब टूट गए अक्स बिखरा जब आइना टूटा आज फिर जुस्तुजू की मौत हुई आज फिर मेरा हौसला टूटा तब्सिरा ज़िंदगी पे क्या कीजे जैसे पानी का बुलबुला टूटा आज 'महवर' है इस क़दर तन्हा जैसे ख़ुद से भी राब्ता टूटा