जब उस ने वापसी के रास्ते रखे हुए हैं नज़र में हम ने भी कुछ ज़ाविए रखे हुए हैं ये कैसा खेल है तेरी गली के बासियों ने मुंडेरों पर सजा कर आइने रखे हुए हैं मज़ा अब ज़िंदगी का हम को भी आने लगा है कि हम ने दोस्तों से फ़ासले रक्खे हुए हैं वफ़ा के रास्ते में आज भी वो मुश्किलें हैं किनारे पर अभी कच्चे घड़े रक्खे हुए हैं सफ़र 'औसाफ़' अपना हो सके कैसे मुकम्मल यहाँ हर रास्ते में दाएरे रक्खे हुए हैं