कब उतरेगा रूह से गारा मिट्टी का मिट्टी की है झील किनारा मिट्टी का मैं ने हर दम की दिलदारी मिट्टी की मैं ने हर दम क़र्ज़ उतारा मिट्टी का मैं ने चौदह चाँद किए हैं जिस के नाम उस ने भेजा एक सितारा मिट्टी का मिट्टी को रौंदा मिट्टी का ख़ून किया होगा आख़िर-कार इजारा मिट्टी का आँखों में है सहराओं सा सूना-पन पाँव के नीचे है अंगारा मिट्टी का मैं ने पाँव जमा रक्खे 'औसाफ़' यहाँ मैं ने समझा साफ़ इशारा मिट्टी का