जब वो आली-दिमाग़ हँसता है ग़ुंचा खिलता है बाग़ हँसता है हाथ में देख कर तिरे मरहम मेरे सीने का दाग़ हँसता है क्या हवा फिर गई है गुलशन की सौत-ए-बुलबुल को ज़ाग़ हँसता है शम्अ' हर शाम तेरे रोने पर सुब्ह-दम तक चराग़ हँसता है शैख़ की देख सूरत-ए-तक़्वा आज 'हातिम' अयाग़ हँसता है