ज़बाँ पे आने से पहले कही गई हूँ मैं किसी ख़याल में खो कर बुनी गई हूँ मैं मिरे ख़याल की दहलीज़ इतनी ऊँची है कि आसमाँ के बराबर चुनी गई हूँ मैं मिरा ग़ुरूर मिरी वहशतों पे हावी है कुछ ऐसे वस्फ़ से मुम्ताज़ की गई हूँ मैं मिरे वजूद में पहरों सुकूत रहता है न जाने किस की सदा में गुँधी गई हूँ मैं मिरे ख़याल से जल जाते हैं चराग़-ए-सहर कि ताक़-ए-शम्स-ओ-क़मर पर रखी गई हूँ मैं वो रोज़ ख़्वाब के रौज़न से देखता है मुझे अजीब डोर है जिस से बंधी गई हूँ मैं सभी के दिल में 'दिया' प्यार का जलाती हूँ वरक़ वरक़ पे उजाला लिखी गई हूँ मैं