ज़बान वालों से इक बे-ज़बान पूछता है मकीं कहाँ गए ख़ाली मकान पूछता है ख़ुदा यहाँ भी तअ'स्सुब वहाँ भी है कि नहीं कराची वालों से हिन्दोस्तान पूछता है मुझे ये धूप ये बरसात क्यूँ सताती है ये बात मुझ से मिरा साएबान पूछता है मिज़ाज पूछने वालों से ख़ैरियत तेरी तिरा मरीज़ तिरा नीम-जान पूछता है हमारे बारे में कुछ पूछता नहीं कोई कोई नसब तो कोई ख़ानदान पूछता है