जाएज़ा लें हम अगर क्या है हमारी ज़िंदगी एक ही उन्वान होगा इश्तिहारी ज़िंदगी जब चली कोई हवा उड़ते गए हम दूर तक ख़ुश्क पत्तों की तरह हम ने गुज़ारी ज़िंदगी चाँद को बाँहों में भरने की फ़क़त हसरत लिए दूर से देखा किए लोगों की प्यारी ज़िंदगी किस क़दर बे-कार है काला धुआँ उड़ता हुआ यूँ समझ लो हम ने भी यूँही गुज़ारी ज़िंदगी हम रहे सहरा में जलते आसमाँ के पास 'अक्स' राख कर ली है जला कर हम ने सारी ज़िंदगी