जफ़ा पर जान देते हैं सितम पर तेरे मरते हैं ये नाकाम-ए-मोहब्बत सच तो ये है काम करते हैं कहें क्या हम पे जो सदमे गुज़रते हैं गुज़रते हैं लगाया जिस घड़ी दिल उस घड़ी को याद करते हैं तमाशा जब से देखा है मिरे दिल के तड़पने का तमाशा है कि वो अपनी नज़र से आप डरते हैं नहीं आते न आएँ वो गए ताब-ओ-तवाँ जाएँ तुझी पर आज हम ऐ बे-क़रारी सब्र करते हैं गली कूचों में तुम ने इश्तिहार-ए-इश्क़ फैलाए कि उड़-उड़ कर मिरे मक्तूब के पुर्ज़े बिखरते हैं अदा बे-साख़्ता उन गेसुओं की कुछ निराली है बनाए से बिगड़ते हैं सँवारे से बिखरते हैं न पूछो 'दाग़' हम से इंतिज़ार-ए-यार की सूरत ये आँखें जानती हैं ख़ूब जो नक़्शे गुज़रते हैं