जगह जगह पे ख़ुशी को शहीद करने लगा मैं अपने हक़ में तिरा ग़म मुफ़ीद करने लगा तिरे फ़िराक़ में आँखों को वारने के बा'द तमाम दर्द मिरा दिल कशीद करने लगा तुम्हें तो भीड़ में एहसास ही नहीं इस का तुम्हारे बा'द अकेले जो ईद करने लगा तुम्हारे जैसा जो बाज़ार से गया तो फिर हमारे जैसा ख़सारे ख़रीद करने लगा ये तेरे हिज्र में देखा है दिल का पागल-पन बिछड़ के तुझ से मोहब्बत मज़ीद करने लगा