जहाँ जहाँ पर क़दम रखोगे तुम्हें मिलेगी वहीं उदासी ये राज़ कुछ इस तरह समझ लो मकाँ मिरा है मकीं उदासी समय की आँखों से देखिए तो हर एक खंडर में छुपे मिलेंगे कहीं पे बचपन कहीं जवानी कहीं बुढ़ापा कहीं उदासी मिरे शबिस्ताँ के पास कोई बुरी तरह कल सिसक रहा था मैं उस के सीने से लग के बोला नहीं उदासी नहीं उदासी बधाई चहकीं दुआएँ गूँजी तमाम चेहरे ख़ुशी से झूमे क़ुबूल है तीन बार बोली एक पर्दा-नशीं उदासी