जहाँ को ख़त्त-ए-तनासुब पे ला बनाया है किसी ने ख़ाक से देखो तो क्या बनाया है इस एहतिमाम से पैकर तिरा तराशता हूँ गुमान गुज़रे कि जैसे बना-बनाया है मिरे चराग़ की लौ का सफ़र हवा के ख़िलाफ़ मिरे जुनूँ ने नया रास्ता बनाया है किसी के मरक़द-ए-ख़स्ता से आ रही है सदा हमारे बाद की नस्लों ने क्या बनाया है