जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा ज़मीं पर कोई तुम सा पैदा न होगा शराब-ए-मोहब्बत को ऐ ज़ाहिदो तुम बुरा गर कहोगे तो अच्छा न होगा सर-ए-बज़्म दुश्नाम दुश्मन को दे कर मुझे तुम ने क्या दिल में कोसा न होगा मिरी बे-क़रारी को क्या देखते हो कभी बर्क़ को तुम ने देखा न होगा 'नसीम' और कुछ फ़िक्र कीजे ख़ुदारा अब इस नौकरी में गुज़ारा न होगा