जहान-ए-रंग जहान-ए-ख़राब दोनों लाओ हमारे वास्ते काँटे गुलाब दोनों लाओ वफ़ाएँ कर के ख़सारे में कौन रहता है पुराना और अभी का हिसाब दोनों लाओ कहाँ लिखा है कि इंसानियत का क़त्ल करो हमारी और तुम्हारी किताब दोनों लाओ अब ऐसे फ़ैसला करना तो ग़ैर मुमकिन है हमारे सामने अच्छा ख़राब दोनों लाओ अब आँसूओं का हमें भी हिसाब करना है तुम अपनी हसरतें और अपने ख़्वाब दोनों लाओ