जहाँ में हौसला-ए-'इज़्ज़-ओ-नाम पैदा कर पस-ए-फ़ना भी बक़ा-ए-दवाम पैदा कर जिगर में लज़्ज़त-ए-सोज़-ए-दवाम पैदा कर दयार-ए-इश्क़ में अपना मक़ाम पैदा कर बरस पड़ेंगी निगाहें चहार जानिब से फ़रोग़-ए-जल्वा-ए-माह-ए-तमाम पैदा कर नवेद-ए-शौक़ तिरी राएगाँ न जाएगी मगर सलीक़ा-ए-अर्ज़-ए-पयाम पैदा कर सुकून-ए-साहिल-ए-दरिया न ढूँड दरिया में मिसाल-ए-मौज-ए-जहनदा ख़िराम पैदा कर हर एक फ़र्द हो मिल्लत का नाज़िश-ए-दौराँ निज़ाम-ए-दहर में ऐसा निज़ाम पैदा कर न हो फ़रेफ़्ता-ए-साग़र-ओ-ख़ुम-ए-मग़रिब वतन की ख़ाक से मीना-ओ-जाम पैदा कर अगर है हौसला-ए-दीद-ए-शाहिद-ए-मक़्सूद तो पहले ज़ौक़-ए-तमाशा-ए-बाम पैदा कर ख़ुदी की क़ूव्वत-ए-पिन्हाँ से काम ले हमा-दम दिलों में ग़ैर के भी एहतिराम पैदा कर फ़रेफ़्ता दिल-ए-सय्याद भी हो ओ बुलबुल नई तरह की तड़प ज़ेर-ए-दाम पैदा कर नज़र न आएँगे यूँ जल्वा-हा-ए-रंगा-रंग जदीद ज़ौक़-ए-नज़र सुब्ह-ओ-शाम पैदा कर पसंद है तुझे क्यों पस्ती-ए-ज़मीं आख़िर फ़लक से भी कहीं आ'ला मक़ाम पैदा कर बुलंद-हौसलगी है शिआ'र-ए-अहल-ए-ख़िरद हिलाल तोड़ दे माह-ए-तमाम पैदा कर है मौत क़तरा-ए-अहक़र की दूरी-ए-दरिया ब-रंग-ए-मौज विसाल-ए-दवाम पैदा कर 'वली' बदल दे उरूस-ए-सुख़न का रंग-ए-कुहन मिसाल-ए-हज़रत-ए-'इक़बाल' नाम पैदा कर