ज़ेहन मेरा क़यास पहने हुए दिल है ख़ौफ़-ओ-हिरास पहने हुए उस की आँखों में सात दरिया हैं और मिरे होंट प्यास पहने हुए भेड़िये ने अजीब चाल चली छुप गया सब्ज़ घास पहने हुए बैठ जाते हैं बाम-ओ-दर अक्सर आइने आस-पास पहने हुए हैं जो मुँह-बोले कुछ फ़क़ीर मियाँ ये लिबादे हैं ख़ास पहने हुए बात करता है शाम सन्नाटा ख़ामुशी का लिबास पहने हुए शब-ए-हिज्रान एक साया मुझे क्यूँ डराता है मास पहने हुए