जहान-ए-रेग तिरा आब देखने के लिए मिली है आँख मुझे ख़्वाब देखने के लिए गहन लगा दे अगर ज़ुल्फ़ से तू चेहरे पर मैं आँख फोड़ लूँ महताब देखने के लिए ये क्या सितम है कि आता हूँ एक सहरा से ज़रा सी घास को शादाब देखने के लिए उठे थे शौक़ से अपना ही चैन खो बैठे वो मेरे हाल को बेताब देखने के लिए लहू किया है जो पानी तो अब फ़लाह मिरी चली है झूम के तालाब देखने के लिए ज़रा सा और ठहर जा तो पर लगेगा तिरा तो हम भी आएँगे सुरख़ाब देखने के लिए पकड़ में आ गया एहसास छुप के आया था ग़मों की झील में सैलाब देखने के लिए तुझे परख ही नहीं है मैं एक 'अख़्तर' हूँ तो फिर तरस तू मिरा ख़्वाब देखने के लिए