मैं तेरी याद में गुम हूँ सो मैं हूँ तू हो कर कि जैसे फूल में रहता हूँ उस की बू हो कर फिर आ जा और ये तस्वीर ले के जा अपनी तू ख़ुद को छोड़ गया मेरे रू-ब-रू हो कर ये दिल तो रोज़ नशेमन सजा के रखता है मिरी तरफ़ से गुज़र तू भी तो कभू हो कर गुलाब सुन तो गुल-अंदाम आ रहा होगा दिखा दे सामने उस के भी सुर्ख़-रू हो कर तू चाहता है तो सीना यूँ चीर 'अख़्तर' का कि चीरने को तुझे फिर मिले रफ़ू हो कर