ज़हर शीरीं है सच पिए जाओ By Ghazal << मुझे भूल जाने वाले मिरे द... वो जिन की छाँव में पले बड... >> ज़हर शीरीं है सच पिए जाओ हमदमो मर के भी जिए जाओ इम्तिहान-ए-वफ़ा हमें मंज़ूर इंतिहा-ए-सितम किए जाओ खुल न जाए फ़रेब-ए-चारा-गरी ज़ख़्म हर हाल में सिए जाओ राख का ढेर हैं मह-ओ-अंजुम राख में जुस्तुजू किए जाओ रह-रवी का यही तक़ाज़ा है राहज़न को दुआ दिए जाओ Share on: