ज़िद न कर मत समय मिलन का उजाड़ प्रीत का रोग तुझ को देगा पछाड़ बैठ कर घर में लिख नए अशआ'र जा के सड़कों पे लड़कियों को न ताड़ इश्क़ और वस्ल दो रुख़ इक तस्वीर राई को तो समझ रही है पहाड़ देख अब कितने शादमाँ हैं ये लोग डाल कर मुझ में और तुझ में बिगाड़ रस की हर लहर के अजब मौसम धूप के पोह चाँदनी के असाढ़ कब तलक उस की धुन में घूमेगा बूट की टो पे चिपकी गर्द को झाड़ ढलती रात इंतिज़ार इक परछाईं सब्ज़ा बंगला सियह गुलाब की बाड़