ज़िंदगी बे-सर-ओ-सामान है क़िस्सा क्या है जिस को देखो वो परेशान है क़िस्सा क्या है ज़ुल्फ़ आरिज़ पे परेशान है क़िस्सा क्या है साया-ए-कुफ़्र में ईमान है क़िस्सा क्या है आज के दौर में बस चाक-गरेबाँ होना तेरे दीवानों की पहचान है क़िस्सा क्या है या तिरे हुस्न की तनवीर से रौशन है जहाँ या मिरे इश्क़ का इरफ़ान है क़िस्सा क्या है ज़ोहद शिबली-ओ-ग़ज़ाली का हया हाफ़िज़ की हाथ में 'मीर' का दीवान है क़िस्सा क्या है अज़्मत-बाद-ए-बहारी मुझे तस्लीम मगर फूल शर्मिंदा-ए-एहसान है क़िस्सा क्या है अपने अंजाम से क्यों आज का इंसाँ 'अनवर' जानते बूझते अंजान है क़िस्सा क्या है