ज़िंदगी हम से ख़फ़ा हो जैसे अब दवा हो न दुआ हो जैसे तेरी फ़ुर्क़त में हुआ यूँ महसूस ज़िंदगी एक सज़ा हो जैसे इस तरह करता हूँ पूजा तेरी तू मोहब्बत का ख़ुदा हो जैसे ऐसा अरमान-ए-मुलाक़ात भी किया दिल में तूफ़ान बपा हो जैसे अब तो एहसास-ए-तमन्ना भी नहीं क़ाफ़िला दिल का लुटा हो जैसे मेरे होंटों पे तिरा ज़िक्र-ए-जमील हर नफ़स मौज-ए-सबा हो जैसे तेरी आँखों से बरसती मस्ती एक मय-ख़ाना खुला हो जैसे ग़म से मिलती है मसर्रत दिल को ग़म भी तेरी ही अदा हो जैसे झनझना उट्ठा है दिल का हर तार आप का नाम सुना हो जैसे वो पशेमाँ हैं तबाही पे मिरी ये भी उन की ही ख़ता हो जैसे तलख़ी-ए-जाम में पिन्हाँ 'साहिर' दर्द दिल की भी दवा हो जैसे