ज़िंदगी का बना सहारा भी और उन के करम ने मारा भी इश्क़ ही फिर पलट के आ न सका हुस्न-ए-मग़रूर ने पुकारा भी कौन डूबा जो यूँ पशेमाँ है मौज-ए-तूफ़ाँ भी तेज़ धारा भी हम न दुनिया की राह पर चलते दिल को होता अगर गवारा भी उम्र भर तीरगी से खेले है कोई हँसता हुआ सितारा भी फूल रोते हैं ख़ार हँसते हैं देख! गुलशन का ये नज़ारा भी दिल की दुनिया तो जगमगा उठ्ठे 'नक़्श' भड़के कोई शरारा भी