ज़िंदगी की बहार ले के चले दामन-ए-तार-तार ले के चले गुल-रुख़ान-ए-चमन की महफ़िल से सीना-ए-सद-फ़िगार ले के चले आह ये ख़्वाब-ए-इश्क़ की ता'बीर आलम-ए-इंतिज़ार ले के चले बे-क़रारी में उम्र गुज़री थी आज दिल का क़रार ले के चले पा गए राज़-ए-ख़ंदा-ए-गुल हम दीदा-ए-अश्क-बार ले के चले मिल गई दाद-ए-आबला-पाई पुर्सिश-ए-नोक-ए-ख़ार ले के चले ज़ब्त-ए-ग़म का 'जमाल' है ये सिला ता'ना-ए-ग़म-गुसार ले के चले