चौंक उठे अक़्ल वाले ये क्या कह दिया हुस्न को मैं ने अपना ख़ुदा कह दिया नूर-ए-दिल से है रौशन जहान-ए-वफ़ा दिल को मैं ने चराग़-ए-वफ़ा कह दिया फूल मुस्काए कलियों ने अंगड़ाई ली ऐ नसीम-ए-सहर तू ने क्या कह दिया मैं ने दिल में कोई बात रक्खी नहीं मैं ने हर बात को बरमला कह दिया मेरी रूदाद-ए-ग़म खा गई है मुझे सुनने वालों ने तो वाह-वा कह दिया लोग ले जाएँगे सू-ए-दार-ओ-रसन हम ने दिल का अगर मुद्दआ कह दिया अपना शेवा रहा 'राजे' क्या सादगी हम ने उन की जफ़ा को वफ़ा कह दिया