ज़िंदगी के नाम पर धोका हुआ अच्छा हुआ जो हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ खा रहा था धीरे धीरे ये सुकूत-ए-जाँ मुझे महशर-ए-जाँ जा-ब-जा बरपा हुआ अच्छा हुआ हो के बाग़ी आँख से आँसू गिरा रुख़्सार पर सोहबत-ए-हिज्राँ वही दरिया हुआ अच्छा हुआ ले रही थी सिसकियाँ क़िर्तास पर तहरीर-ए-जाँ ज़ाइक़ा तहरीर का कड़वा हुआ अच्छा हुआ उँगलियाँ उठने लगीं थीं हसरत-ए-बे-नाम पर हसरतों का अक्स अब धुँदला हुआ अच्छा हुआ थी मज़ार-ए-इश्क़ पर मिन्नत की चादर की तरह ज़िंदगी तेरा यहाँ सौदा हुआ अच्छा हुआ जिस मोहब्बत के लिए दुनिया को ठोकर मार दी आज उस के नाम पर रुस्वा हुआ अच्छा हुआ कब तलक रहता सलामत मुख़्लिसी का पैरहन गर्दिशों के हाथ ये मेला हुआ अच्छा हुआ होश में रहते हुए मदहोश था सोचा नहीं रह गया मैं जा-ब-जा बिखरा हुआ अच्छा हुआ कह गई मौज-ए-'नसीमी' देख कर चेहरा मिरा हो गया दार-ओ-रसन लिक्खा हुआ अच्छा हुआ