ज़िंदगी क्या है तमन्नाओं का खारा पानी हर कोई पी के यहाँ माँगे दोबारा पानी हम हैं वो जिन की निगाहों ने कुचल डाला फ़ुरात कौन हैं जिन के लबों पर है ये ना'रा पानी कई दरिया मिरी आँखों से रवाँ होने लगे उस ने जब ख़्वाब में इक बार पुकारा पानी कोई सैलाब उमडता था घड़ी से हर दिन वक़्त की शक्ल में हम ने तो गुज़ारा पानी फ़ैसला उस ने जुदाई का सुनाया तो लगा जैसे सहरा में कोई प्यास में हारा पानी इस लिए लोग सुलगते ही यहाँ कर्बल में जिसे मिलता है वो पी लेता है सारा पानी तिश्नगी बाँट के हर क़ौम का रहबर ये कहे सारी दुनिया में तो बहता है हमारा पानी आज जज़्बात हैं प्यासे सर-ए-क़िर्तास 'नवेद' कर रहा है मुझे हर लफ़्ज़ इशारा पानी