ज़िंदगी मौत के आग़ोश से पैदा करना डूब कर बहर में तूफ़ान से खेला करना आए रोना भी तो हँसने का इरादा करना जोश-ए-ग़म में न कभी ज़ब्त से गुज़रा करना देखना शौक़ की फ़ितरत को न रुस्वा करना चश्म-ए-मुश्ताक़ यूँही उन का नज़ारा करना रंग लाएगा अजब जल्वा-गह-ए-महशर में ज़ौक़-ए-दीदार मिरा आप का पर्दा करना मौज-ए-फ़ितरत का हर अंदाज़ है तख़रीब-शिआ'र ऐ चमन-ज़ार बहारों से न रिश्ता करना बहुत आसान था रब्बी-अरिनी कह देना कोई आसाँ न था जल्वों का नज़ारा करना चाक-दामानी-ए-गुल बर-सर-ए-मेराज-ए-बहार है जुनूँ-ख़ेज़ अदा होश का दावा करना सीखिए उक़्दा-कुशाई की अदाएँ 'जुम्बिश' न हुआ कुछ भी ये तक़दीर का शिकवा करना