ज़िंदगी में उस को कैफ़-ए-ज़िंदगी हासिल नहीं जिस का दिल राज़-ओ-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं हुस्न के पर्दे में हो सकता नहीं हरगिज़ क़रार रोज़-ए-अव्वल से ये लैला ख़ूगर-ए-महमिल नहीं क़द्र कर दिल की कि दरगाह-ए-ख़ुदा में ऐ नदीम दो-जहाँ की ने'मतें हाज़िर हैं लेकिन दिल नहीं होशियार ऐ मस्त-ओ-मदहोश-ए-जवानी होशियार इश्क़ वो दरिया है जो मिन्नत-कश-ए-साहिल नहीं ज़ब्त-ए-नाला ज़ब्त-ए-गिर्या ज़ब्त-ए-उल्फ़त ज़ब्त-ए-शौक़ किस तरह कह दूँ कि ये आसानियाँ मुश्किल नहीं अपना रस्ता अपनी धुन अपना तसव्वुर अपना शौक़ कोई भी रहबरो यहाँ बेगाना-ए-मंज़िल नहीं है तसव्वुर इशरत-ए-माज़ी का आईना-ब-दस्त दिल वही दिल है मगर वो गर्मी-ए-महफ़िल नहीं देर क्या है आ मिरे दिल में समा जा बर्क़-ए-नाज़ शिकवा-संजी फ़ितरत-ए-एहसान में दाख़िल नहीं इल्तिमास-ए-शौक़ पर 'एहसान' महशर ढह गया उन का शरमा कर ये कहना मैं तिरे क़ाबिल नहीं