ज़िंदगानी में है ख़ुशी तुम से ज़िंदगी ज़िंदगी बनी तुम से शाइ'री दिल का इस्तिआ'रा है इस्तिआ'रे में चाशनी तुम से हाड़ की धूप ने जलाया हमें आस हम को थी छाँव की तुम से क्या तुम्हें मुझ पे ए'तिबार नहीं मैं करूँ और दिल-लगी तुम से काम करने को जी नहीं करता तंग आया हूँ शाइ'री तुम से मैं भी रस्ता बदलने वाला हूँ है मुलाक़ात आख़िरी तुम से हम से जीवन के ख़ार हैं 'आदिल' ज़िंदगी की कली कली तुम से