जैसा कहता है तू वैसा नहीं करने वाली अब तिरे साथ मैं अच्छा नहीं करने वाली ऐसे देखो ना मोहब्बत का गुमाँ होता है वा'दा लेना है तो वा'दा नहीं करने वाली मुझ से वाक़िफ़ हो तो इंकार ये करते क्यूँ हो मान लो प्यार को रुस्वा नहीं करने वाली मिरे आँगन के सभी फूल बहुत महँगे हैं अपने गुलशन को मैं सहरा नहीं करने वाली तू मजाज़ी है हक़ीक़ी तो नहीं है मेरा सो तिरे इश्क़ में सज्दा नहीं करने वाली मेरी फ़ितरत में मोहब्बत ही फ़क़त गूंधी गई अपनी फ़ितरत से किनारा नहीं करने वाली चाँद आँखों में लिए फिरती हूँ मैं आज 'दिया' अश्क पलकों का सितारा नहीं करने वाली