ज़ीस्त मिलती है उम्र-ए-फ़ानी से माँग कुछ अपनी ज़िंदगानी से इक नज़र का फ़साना है दुनिया सौ कहानी है इक कहानी से बात कह दी तो बात कुछ न रही ग़म हुआ ग़म की तर्जुमानी से सुब्ह होती नहीं मोहब्बत की रात कटती नहीं जवानी से फूल चुनते हैं अहल-ए-बज़्म 'नुशूर' मेरी हर ताज़ा गुल-फ़िशानी से