सुकूँ-पज़ीर जुनून-ए-शबाब हो न सका शगुफ़्त-ए-मौसम-ए-गुल कामयाब हो न सका उड़ाए बर्क़ ओ गुल-ओ-लाला ने बहुत ख़ाके मगर कोई मिरे दिल का जवाब हो न सका वहाँ हम आरज़ू-ए-ख़्वाब-ए-ऐश क्या करते जहाँ क़याम ब-मिक़दार-ए-ख़्वाब हो न सका बदल गईं वो निगाहें ये हादसा था अख़ीर फिर इस के ब'अद कोई इंक़लाब हो न सका वहाँ पयाम की गुंजाइशें कहाँ 'सीमाब' जहाँ सलाम मिरा मुस्तजाब हो न सका