जज़्ब है ख़ामशी-ए-गुल में तकल्लुम तेरा जावेदाँ मेरे चमन में है तबस्सुम तेरा बाग़ में सैल-ए-नुमू-खेज़ की हलचल तेरी दश्त में शोर-ए-सिपाह-ए-मह-ओ-अंजुम तेरा तेरी मरहून-ए-नवाज़िश मिरी सर्शारी-ए-ख़ाक मय-कदा तेरा मय-ए-नाब तिरी ख़ुम तेरा ख़ुश्क-ओ-तर पस्त-ओ-बुलंद आईना-ए-शाम-ओ-सहर मेहरबाँ सब पे है सैलाब-ए-तरह्हुम तेरा सब तिरे ज़ेर-ए-नगीं मौज समुंदर साहिल बादबाँ तेरा तिरी नाव तलातुम तेरा चश्मा-ए-आब-ए-रवाँ है जो सराब-ए-जाँ में उस की हर लहर में रक़्साँ है तरन्नुम तेरा है तिरी मिट्टी के हर ज़र्रे पे एहसाँ जिस का 'इशरत' उस ज़ात में हर नक़्श हुआ गुम तेरा