जला के मुझ को अजब मो'जिज़ा दिखाया गया मिरी ही राख से पैकर नया बनाया गया मिरे ही तीर चलाए गए मिरी जानिब मिरे ख़िलाफ़ मिरा ज़ोर आज़माया गया बिठा के पहले मुझे इक अज़ीम मंसब पर मिरे ख़िलाफ़ अजब फ़ैसला सुनाया गया इस आब-ओ-ताब के पीछे भी इक कहानी है मैं पहले संग था फिर आइना बनाया गया मुझे कराई गई पहले एक शहर की सैर फिर उस में मुझ को मिरा अस्ल घर दिखाया गया डुबो के ख़ून में बाँधी गई मुझे तलवार किस एहतिमाम से मैं तख़्त पर बिठाया गया मुझे सता के भी कब ख़ुश हुए मिरे मुनकिर मैं इस पे ख़ुश हूँ मिरा सब्र आज़माया गया अता हुई है अजब तरह ख़्वाजगी 'आसिफ़' तराश कर मिरे बाज़ू अलम थमाया गया