जल्वे जल्वे का नया अंदाज़ है हर तरफ़ इक दिलरुबा ए'जाज़ है रूह पर इक कैफ़-ए-सोज़-ओ-साज़ है दिल में कोई यूँ नवा-परवाज़ है इश्क़ के नग़्मों का ये ए'जाज़ है हर सदा मेरी तिरी आवाज़ है दिल में भर दी किस ने ये बर्क़-ए-नवा नग़्मा नग़्मा पर वो सोज़-ए-साज़ है आस्तान-ए-गुल कभी छुटता नहीं अब क़फ़स है हसरत-ए-परवाज़ है इब्तिदा भी इंतिहा भी शौक़ है क्या मिरा अंजाम क्या आग़ाज़ है ख़ुद बदल डालो मिज़ाज-ए-जिस्म-ओ-जाँ जब हवा-ए-ज़िंदगी ना-साज़ है किस को 'आरिफ़' होश-ए-आदाब-ए-नियाज़ सामने जब वो हरीम-ए-नाज़ है