तरक़्क़ी और रफ़्तार-ए-ज़माना हसीं उन्वान हुज़्न-आगीं फ़साना जो बदले नित नया एक आस्ताना भला ऐसी जबीं का क्या ठिकाना तिरे फ़िक्र-ओ-अमल सब शाइ'राना न बदला तू ये बदले क्यों ज़माना क़दम इश्क़-ओ-जुनूँ के फ़ातेहाना ख़िरद की चाल सब हीला बहाना मुबारक उस का अज़्म-ए-मुसलिहाना ख़फ़ा हों जिस से अब्ना-ए-ज़माना ख़ुमार-ए-सुब्ह क्या कैफ़-ए-शबाना मुझे बख़्शा सुरूर-ए-जावेदाना वो आँसू जो करम को जज़्ब कर लें वही है मेरे दामन का ख़ज़ाना तुम्हें ज़ौक़-ए-हदीस-ए-दिल-बराना ग़ज़ल 'आरिफ़' की फ़िक्र-ए-आरिफ़ाना