जल्वा दिखा के गुज़रा वो नूर दीदगाँ का तारीक कर गया घर हसरत-ए-कशीदगाँ का ग़म यार का न भूले सो बाग़ अगर दिखा दें कब दिल चमन में वा हो मातम-रसीदगाँ का रंग-ए-हिना पे तोहमत उस लाला-रू ने बाँधी हाथों में मल के आया ख़ूँ दिल-तपीदगाँ का अहल-ए-क़ुबूर ऊपर वो शोख़ कल जो गुज़रा बेताब हो गया दिल ख़ाक-आरमीदगाँ का यूँ 'मीर' से सुना है वो मस्त-ए-जाम 'बेदार' तह कर गया मुसल्ला उज़्लत-गुज़ीदगाँ का