जल्वा जब मुझ को दिखाया यार ने वहम हस्ती का उठाया यार ने जाम-ए-वहदत जब किया नज़्र-ए-अता मस्त दीवाना बनाया यार ने बोल उठा मुर्दा ज़बाँ से बे-गुमाँ क़ुम बि-इज़्नी जब सुनाया यार ने हुस्न-ए-वहदत जल्वा-गर है जा-ब-जा ला-मकाँ मुझ को बताया यार ने क्या अजब ज़ाहिर किया नाज़-ओ-अदा इश्क़ में मुझ को फँसाया यार ने जब खुला उक़्दा ख़फ़ी असरार का बरसर-ए-महफ़िल हँसाया यार ने