जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए ख़ूबान-ए-ख़ुद-फ़रोश ख़रीदार हो गए तलवों से रास्ता चमन-ए-दिल-कुशा बना जल्वों से आइना दर-ओ-दीवार हो गए दिल जाँ-ब-लब जिगर में तपक जान बे-क़रार हम तेरा नाम ले के गुनहगार हो गए गुलज़ार है बहार यूँही हुस्न-ए-यार से जैसे चमन बहार से गुलज़ार हो गए ये हुस्न-ए-ख़ुद-फ़रोश अजब जिंस है 'हसन' वो बिक गए जो उस के ख़रीदार हो गए