जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास कश्ती-ए-हस्ती नज़र आती है अब साहिल के पास सारबाँ किस जुस्तुजू में है यहाँ मजनूँ कहाँ अब बगूला भी न भटकेगा तिरे महमिल के पास इब्तिदा-ए-इश्क़ या'नी एक मोहलिक हादसा आ गई हस्ती यकायक मौत की मंज़िल के पास ने'मतों को देखता है और हँस देता है दिल महव-ए-हैरत हूँ कि आख़िर क्या है मेरे दिल के पास ये तिरे दस्त-ए-करम को खींच लेगा एक दिन ऐ ख़ुदा रहने न दे दस्त-ए-दुआ साइल के पास